भाषण में परमाणु बमों का
कुछ प्रयोग सस्ता होगा,
उतने दिन तुम और बहक लो
जब तक मेरी आँखें नम।
भारत का दर्शन कहता है
जिओ और जिने भी दो,
हित शिखरों से झरने वाला
नीर पियो और पीने भी दो,
दया क्षमा और करूणा के प्रेरक
हुये घाव सिने भी दो,
यदि कोई मर्यादा लाघें
सिर काटो सीने भी दो,
थोड़ा पढ़ा अभी आगे तो
कठिन परीक्षा देनी है,
थोड़े पल और तुम चहक लो
और बता लो अपनी दम,
सारा भारत सोच रहा है
मानवता रोयेगी क्या ?
जिद्दी दुश्मन नहीं मानता
माँ करूणा खोयेगी क्या ?
एक दुष्ट के कारण सारी
जनता दुख ढोयेगी क्या ?
इसकी महाघिनौनी छाया
प्रलय बीज बोयेगी क्या ?
समझौते यदि नहीं चहिये
बोलो तो क्या दें तुमको ?
पल दो पल और दहक लो
फिर चढ़ कर बोलेगें हम।
कितने आँसू पी पायेगात
यह आतंक बताये भी,
कितनी विधवायें झेलेगा
थोड़ा प्यार जताये भी,
कितना हाहाकार सुनेगा
तनिक गुमान घटाये भी,
भारत माता के आँचल से
अपनी फ्रांस हटाये भी,
एटम बम बरसाने वाले
सपने भले नहीं होते,
ठन्डे दिल से अभी सोच लो
कितने सह पाओगे बम।
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