Monday, January 26, 2009

लाज न जाने देगें माँ

जय जयति तिरंगे भारत जय
हम आँच न आने देगें माँ,
अपने जीते जी आँचल की
हम लाज न जाने देगें माँ

चाहे बर्फीली चोटी हो,
या तपते मरू पर चलना हो,
चाहे कितनी कठिनाई की
राहों के बीच गुजरना हो,
चाहे अम्बर तक उड़े प्राण
या फिर घाटी में रमना हो,
चाहे सागर की गर्जन में
हमको सौ बार उतरना हो,

भय रहित पताका फहरा कर
अरि नाच न आने दे माँ
अपने जीते जी भारत की
आवाज न जाने देगें माँ।

माँ चन्दन है तेरी माटी
यह चन्दन देह ज्वाल देगी,
जो गले मिलेगा प्यार लिये
उसको अभिषेक भाल देगी,
यदि कहीं भूमि से कपट हुआ
शत्रुवत उतार खाल लेगी,
अपनी लपटों में झुलसाकर
उसको विकराल काल देगी,

मय रहित प्रीतिमय जननी है
यह साँच न जाने देगें माँ,
अपने जीते जी कश्मीरी
सरताज न जाने देगें माँ।

No comments:

Post a Comment