घूम रही बच्चों की टोली॥
कोमल, कलिका सी रस घोली।
नव उमंग भरती हमजोली॥
मन उपवन के, मधु बसंत के नेह परिधि है।
बच्चे तो जीवन की निधि हैं॥
ये बच्चे जीवन मधुबन हैं।
ये बच्चे जीवन का धन हैं॥
ये बच्चे जीवन उपवन हैं।
ये बच्चे मन स्वर सरगम हैं॥
मन के आँगन में बच्चे बहुरंग विविधि हैं।
बच्चे तो जीवन की निधि हैं॥
ये बच्चे जीवन की बाती।
ये बच्चे जीवन की थाती॥
ये बच्चे मधु सिंचित कलियाँ।
ये बच्चे जीवन की गलियाँ।
ममता के आँगन में बच्चे रत्न उदधि हैं।
बच्चे तो जीवन की निधि हैं॥
- शिव कुमार मिश्र
No comments:
Post a Comment