मन की बगिया में छां जाये कोमल नए तराने॥
नेता वीर सुभाष बोस, आज़ादी के दीवाने।
गाँधी, नेहरू, भगत सिंह के गूंज रहे अफ़साने॥
आज़ादी की मस्ती में आजाद बने दीवाने।
इसीलिए हम वीर शहीदों के गाते हैं गाने॥
लगा तिरंगा लाल किला में फर-फर-फर फहराने।
तब मन की क्यारी के बच्चों फूल लगे मुस्काने॥
आओ बच्चों! जीवन का संकल्प नया हम ठानें।
मन की बगिया में लहरायें जीवन के अफ़साने॥
तन-मन-धन अर्पित हों जाये कभी ना हों बेगाने।
राष्ट्र प्रेम का सिंधु लगे जग जीवन में लहराने॥
आज़ादी की गरिमा को हम सब मिलकर पहिचानें।
विजय पताका लिए हाथ में यह संकल्प बखाने॥
ऊँचा रहे ललाट देश का अपना गौरव मानें।
लगें सरोवर के सरोज जन मानस में लहराने॥
- शिव कुमार मिश्र
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