Thursday, January 31, 2008

जीवित कर दो मेरी साँसों को

ये रंग नही
ये जीवन है
साँसे है
जीवन जीने की
मुझमे भी
भरकर रंग कोई
जीवित कर दो मेरी साँसों को ।

कई आयी बहारें
चली गयी
सूखी है पड़ी
जीवन क्यारी
मुझमे भरकर सावन कोई
जीवित कर दो मेरी साँसों को ।

फूलों सा खिला
जीवन चाहा
काँटों से घिरा
जीवन पाया
बनकर
मधुवन की कोई कली
तुम महका दो इस जीवन को ।

नयनों ने मेरे
आंसू के सिवा
क्या और दिया
इस राही को
जिससे चाही खुशियाँ मैंने
उसने भी दिए आंसू मुझको ।

मैंने जिसको
पूजा माना
तूने
समझा क्यूं पाप उसे
करके
सुंदर अभिषेक तुम्ही
पावन कर दो इक मूरत को ।

कोई मेरा कभी तो
हों ना सका
मैं साबका हुआ
इस जीवन में
मुझको अपना कर जीवन में
जीवित कर दो मेरी साँसों को ।

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