Thursday, January 31, 2008

कहीं वो खुदा तो नहीं !

तलाश जारी है
अभी तक
उसकी
जो मुझे मिल ही नही
देखा भी नही
है उसे
छुआ तक नही
बस ख्वाबो के
दरवाज़े पर ही
दस्तक
दी है उसने
हर बार
मगर
बैचेन हूँ मैं
उसे पाने को
जिसे मई
जानता तक नही
एहसास है
वो मेरे ज़हन में
दबा हुआ
जिसे मैं
अपने भीतर
महसूस करता हूँ ।

मगर वो
मेरे सामने क्यों नही आता
मैं
पूछना चाहता हूँ उससे
उसका नाम,
वल्दियत
और रिहाइश ।

लोग
तरह तरह से
पुकारते है उसको
शायद
बदनाम करते हैं
मगर
कोई नही
जो मुझे बता सके
कि किसने
उसे देखा है
बात की है उससे
उसे
महसूस किया है
अपने भीतर ।

बस
उसके नाम पर
हाथों में पत्थर लिए
एक - दुसरे का
सिर फोड़ते है
बेबसों
बेकसूरों के खून से
संगीनें रंग्तें हैं
और फिर
यह भी कहते है
कि सबको
उसी ने बनाया है ।

कौन है वो
जो अपने बच्चो को
अपने ही
कई रूपों का
दीवाना बनाकर
आपस में
लड़्वा रह है
कौन है वो
जो मंदिर - मस्जिद
चर्च - गुरूद्वारे
सभी जगह
एक साथ रह रहा है
और दूर कर रहा है
इन्सान को इन्सान से
कही वो ! खुदा तो नही ।

कौन है वो
जिसके इशारे पर
सब कुछ
होने को मजबूर है
कहता है
मैं राम हूँ
अल्लाह,
गोविन्द
और इशू भी
मैं ही हूँ
जो
बहरुपिया बनकर
तुम्हारे पास
आता रहा
मगर
तुम पहचान न सके ।

मजहबी खून - खराबे
को देखकर
शांत है वो
अपने आप को
बंटता देख
मौन हैं वो
खामोश हैं
मज़ारो
और पत्थरो में
कहता है
मुझे
क़ैद कर लिया है
मेरे
चाहने वालो ने ।

धर्म और
जाति के नाम पर
कर दिए है
मेरे टुकड़े - टुकड़े
शर्मसार है वो
अपनी रची कायनात पर
उसकी आंखों में भी
आज आंसू है
तड़प है
उसके मन में भी
मेरी ही तरह
कही वो
खुदा तो नही ।

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