Thursday, January 31, 2008

जीवन ! तू क्या है?

उन्मुक्तता है
या है बन्धन,
है सहजता
या है क्रन्दन
जीवन !
तू क्या है ?

प्रतिक्षण
क्षरण है या
की निर्माण प्रतिक्षण,
प्रतिक्षण
पतन है
या कि उत्थान प्रतिक्षण ।

विश्वास है
बंधता हुआ
या टूटता हुआ
विश्वास है तू
है सजल
नयनों कि भाषा
या चमकती
आस है तू ।

है समर
घनघोर या
तू शान्त है
विश्राम कोई
खिलखिलाती सी
लहर है
या कोई
है मौन सरिता
जीवन !
तू क्या हैं ?

प्रात है
उत्कर्ष का
या डूबती
संध्या है कोई
सार है
दुःख - दर्द का
या सुख की
परिभाषा है कोई ?

तू मिलान
संगीत है
या है विरह
का गीत कोई
तू जन्म का
भ्रम है कोई
या है
मृत्यु का अटल सच
जीवन !
तू क्या है ?

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