माखन-सा मेरा मन। अर्चना मेरी सुनो॥
नन्हा-सा फूल हूँ मैं। चरणों की धुल हूँ मैं॥
वन्दना मेरी सुनो। निर्मल है उर मेरा॥
ना जानूँ तेरा-मेरा। कल्पना मेरी सुनो॥
अमिय रस घोली है। तोतली बोली है॥
कामना मेरी सुनो। मैं तेरा बिन्दु हूँ॥
तू मेरा सिन्धु है। भावना मेरी सुनो॥
- डॉ० कृष्ण कुमार मिश्र
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