छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥
जननी तभी पूर्णता पाती। बच्चा जानती माँ कहलाती॥
कितने प्यारे नन्हें बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥
बोल तोतली, समझ न पाते। पर वह कितना ह्रदय लुभाते॥
स्फुट बोल बोलते बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥
मन्दिर-मस्जिद भेद मिटते। नहीं किसी से वह घबड़ाते॥
सबको गले लगाते बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥
बच्चों के हैं सबसे नाते। कलुषित भाव समझ ना पाते॥
प्रेम-सुधा बरसाते बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥
इक मीठी मुस्कान के आगे। भरी तनाव जिंदगी भागे॥
कितने सहज सरल हैं बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥
- डॉ० कृष्ण कुमार मिश्र
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