Saturday, January 19, 2008

छोटे बच्चे, मन के सच्चे

सीधे साधे तनके कच्चे।
छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥

जननी तभी पूर्णता पाती। बच्चा जानती माँ कहलाती॥
कितने प्यारे नन्हें बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥

बोल तोतली, समझ न पाते। पर वह कितना ह्रदय लुभाते॥
स्फुट बोल बोलते बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥

मन्दिर-मस्जिद भेद मिटते। नहीं किसी से वह घबड़ाते॥
सबको गले लगाते बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥

बच्चों के हैं सबसे नाते। कलुषित भाव समझ ना पाते॥
प्रेम-सुधा बरसाते बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥

इक मीठी मुस्कान के आगे। भरी तनाव जिंदगी भागे॥
कितने सहज सरल हैं बच्चे। छोटे बच्चे, मन के सच्चे॥

- डॉ० कृष्ण कुमार मिश्र

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