आओ! मधुमक्खी बन जायें॥
मधुमक्खी का गुण-चुनना है।
मधु सा मधुर स्वप्न-बुनना है॥
जीवन की खिलती डाली पर-
गीतों का गुन-गुन गुनना है॥
हम, सौरभ को शहद बनायें।
आओ! मधुमक्खी बन जायें॥
अपनी मेहनत खून-पसीना।
अपने संकल्पों पर जीना॥
सुख-दुःख राग-द्वेष से उठकर।
अच्छाई का अमृत पीना॥
छत्तों का संसार सजायें।
आओ! मधुमक्खी बन जायें॥
- कुमार दिनेश 'प्रियमन'
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