Saturday, January 19, 2008

मधुमक्खी

फूल-फूल से शहद चुराये।
आओ! मधुमक्खी बन जायें॥

मधुमक्खी का गुण-चुनना है।
मधु सा मधुर स्वप्न-बुनना है॥

जीवन की खिलती डाली पर-
गीतों का गुन-गुन गुनना है॥

हम, सौरभ को शहद बनायें।
आओ! मधुमक्खी बन जायें॥

अपनी मेहनत खून-पसीना।
अपने संकल्पों पर जीना॥

सुख-दुःख राग-द्वेष से उठकर।
अच्छाई का अमृत पीना॥

छत्तों का संसार सजायें।
आओ! मधुमक्खी बन जायें॥

- कुमार दिनेश 'प्रियमन'

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