Friday, January 18, 2008

कहीं राह में भटक ना जाना

सुबह हो गयी जागो यार,
बनो आलसी मत बेकार।

सूरज निकला फैला धाम,
उठकर सबको करो प्रणाम।

नित्यकर्म से फुरसत पाओ,
मंजन करके खूब नहाओ।

करो ना आपस में तकरार,
चलो नाश्ता है तैय्यार।

खा-पीकर लो उठा किताब,
सुबह ना पढना बहुत खराब।

करो समय को मत बर्बाद,
पाठ आज का कर लो याद।

कपड़े बदल मदरसे जाओ,
जनगण मन अधिनायक गाओ।

पढ़-लिख कर सीधे घर आना,
कहीं राह में भटक ना जाना।

- मदन मोहन शुक्ल 'मधुर'

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