बनो आलसी मत बेकार।
सूरज निकला फैला धाम,
उठकर सबको करो प्रणाम।
नित्यकर्म से फुरसत पाओ,
मंजन करके खूब नहाओ।
करो ना आपस में तकरार,
चलो नाश्ता है तैय्यार।
खा-पीकर लो उठा किताब,
सुबह ना पढना बहुत खराब।
करो समय को मत बर्बाद,
पाठ आज का कर लो याद।
कपड़े बदल मदरसे जाओ,
जनगण मन अधिनायक गाओ।
पढ़-लिख कर सीधे घर आना,
कहीं राह में भटक ना जाना।
- मदन मोहन शुक्ल 'मधुर'
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