Saturday, January 19, 2008

स्वामिभक्ति

एक बार की बात, एक
घर में घुस आया चोर!
स्वामिभक्त कुत्ता आँगन में
लगा भौकने जोर!!

कुत्ते को चुप करने की तब,
सोची उसने चाल।
टुकड़ा फेंक उसे चुप कर दूँ,
ले जाऊँ सब माल!!

चाल समझकर कुत्ता बोला,
समझ गया मैं आशय!
बन्द करूँ भौंकना और तुम,
चोरी करो महाशय!!

किन्तु नही यह पूरी होगी,
कभी तुम्हारी आस!
मूर्ख नहीं कर्तव्य छोड़ कर
दौड़ूं, खाऊं मांस!!

जाओ चले यहाँ से फौरन,
नहीं गलेगी दाल!
स्वामिभक्त हूँ, मैं स्वामी का,
देखूंगा सब माल!!

जोर-जोर भौंकने लगा फिर
भागा चोर बचाकर जान!
बच्चों! स्वामिभक्त बन तुम भी
रक्खो सबका मान!!

-ओम प्रकाश 'जयन्त'

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