नन्हें-नन्हें कदम बढ़ाते।
माँ का मुख खिल उठा, एकदम
पापा भी देखो मुस्काते।
डगमग-डगमग करता वो तो-
दौड़ा-दौड़ा घर में फिरता।
कोशिश में चलने की देखो-
कितनी बार तो है वो गिरता!
फिर भी उठकर बढ़ने को,
हो जाता है तैयार!
प्यारे बच्चों जीवन में तुम,
कभी न मानो हार!!
- डॉ ० कनक लता तिवारी 'कनु'
No comments:
Post a Comment