अपनी प्यारी किलकारी से, घर-भर को चहका देंगे॥
हमसे ही दुनिया रोशन है, हम हर घर की शान हैं।
नटखट है हम-चंचल हैं हम शरारती और शैतान हैं॥
भारत माँ की आँख के तारे, नेहरू का अरमान हैं।
कल का भारत हमसे होगा, हम इसकी पहचान हैं॥
आसमान से भी ऊँचे हम, भारत को पहुँचा देंगे।
अपनी प्यारी किलकारी से, घर-भर को चहका देंगे॥
हम सुभाष और भगत सिंह हैं, वीर शिवाजी के बच्चे।
सिंहनी का भी दूध हैं लाते, धुन के पक्के और सच्चे॥
दुश्मन हमसे जब टकराता, उड़ा के रख दें परखच्चे।
ध्रुव के जैसे अटल हमेशा, नहीं इरादों के कच्चे॥
अपने देश का अमर-तिरंगा, चहुँदिशि में लहरा देंगे।
अपनी प्यारी किलकारी से, घर-भर को चहका देंगे॥
दूध-दही, घी-मट्ठा खाकर, हममें भरा हुआ है जोश।
माँ का आँचल कोई छुए तो, बैठ न सकते हम खामोश॥
सत्ता का मद हमें नहीं हैं, कभी न होते हम मदहोश।
जंगल का राजा भी हारे, बुद्धि में हम है खरगोश॥
आसमान के तारों से हम, इस जग को चमका देंगे।
अपनी प्यारी किलकारी से, घर-भर को चहका देंगे॥
चाहे कोई रूसी हो या, चीनी या जापानी।
साड़ी दुनिया में मशहूर हैं, हम बच्चे हिन्दुस्तानी॥
आज्ञा-पालन, गुरु-भक्ति में, अपना नही कोई सानी।
धुन में अपनी मस्त हैं रहते, और करते हैं मनमानी॥
मिलजुल कर सब रहो प्रेम से, घर-घर ये नारा देंगे।
अपनी प्यारी किलकारी से, घर-भर को चहका देंगे॥
बुद्धि अपनी गाँधी जैसी, नजरों में सरदार पटेल।
शक्ति में हम भगत सिंह हैं, फाँसी को जो समझे खेल॥
चतुराई में वीर शिवाजी, देशभक्ति में चन्द्रशेखर।
गुरुभक्ति में आरुणि हम, दृढ़ शक्ति में अम्बेडकर॥
नेतृत्व में हम नेहरू जैसे, जोश में जैसे वीर सुभाष।
स्वाभिमान में राणा जैसे, ध्रुव जैसा अपना विश्वास॥
सावरकर के जैसा धीरज, ऊधम सिंह का खून गरम।
बिस्मिल के जैसे हैं साथी, अशफाक का दीं-धरम॥
मंगल पाण्डेय से जोशीले, पृथ्वीराज से गर्वीले।
आज्ञा पालक रामचन्द्र से, कान्हा जैसे फुर्तीले॥
विद्वान विवेकानन्द से, दयानन्द से ब्रह्मचारी।
ऋषि गौतम के जैसे त्यागी, और दधिची से उपकारी॥
हठी हम्मीर से आश्रय दाता, हरिशचन्द्र से सत्यवादी।
वीर सिपाही हैं हमीद से, प्राण से प्यारी आज़ादी॥
साहस-नचिकेता के जैसा, प्रहलाद से अकल महान।
हम बच्चे हिन्दुस्तानी हैं, हमसे ही है हिन्दुस्तान॥
- मनोज सहगल 'जोश हिन्दुस्तानी'
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