जनपद की प्रतिभा के प्रतीक
उस दिव्या उजाला को प्रणाम,
कवि श्रेष्ठ निराला को प्रणाम
कवि महा निराला को प्रणाम।
हो गयी धन्य यह बसुन्धरा,
हो गया धन्य मानस मराल,
जागी सुसुप्त भावना सहज,
जागा अन्तर पौरुष विशाल।
युग सृष्टा-दृष्टा ज्ञान पुंज
उस महा शिवाला को प्रणाम,
कवि श्रेष्ठ निराला को प्रणाम
कवि महा निराला को प्रणाम।
अज्ञानी को भी दिया ज्ञान,
अभिमानी को भी दिया मान,
अति दीन हीन शोषित मलीन,
मरती बेबस को दिया जान।
उनकी ही 'सरस' ऋचाओं की,
उस अमर रिसाला को प्रणाम,
कवि श्रेष्ठ निराला को प्रणाम,
कवि महा निराला को प्रणाम।
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