Tuesday, January 29, 2008

बादल!

ये
आवारा बादल ठहरे,
इनका राग मल्हारों से क्या लेना देना
ये तो जाने कब से हैं बहरें।
ये
आवारा बादल ठहरे,
ये
अपनी मर्जी के मालिक
तड़क-भड़क कर छा जायें
तो क्षण में दिन को रात बना दें,
और कहीं अपनी पर आयें तो
सबको औकात बता दें,
इनका कोई दीन धरम है,
इनके तो सम्बन्ध हवाओं से भी हैं गहरे।
ये
आवारा बादल ठहरे,
ये हैं पक्के अवसरवादी,
किसे मिलायें किसे काट दें,
किसका कोटा किसे बाँट दें,
कोई मतलब नही इन्हें सावन भादों से,
कब ये खुद ही मुकर जायें अपने वादों से,
इनके कोई लाज-शरम है,
बरसाती मेघों पर इनके लगे हुए पहरे।
ये
आवारा
बादल ठहरे।

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