Friday, January 18, 2008

आओ प्रतिभाओं को नमन करें

आओ भारत की वैज्ञानिक-प्रतिभाओं को नमन करें।
इनके प्रति होकर कृतज्ञ, आविष्कारों का मनन करें।
'आर्यभट्ट' पांचवी सदी के थे सुप्रसिद्ध गणितवेत्ता।
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबारी, खगोलवेत्ता।
प्रथम उपग्रह अन्तरिक्ष को क्यों न आपके नाम करें।
'भाष्कर प्रथम' सदी सप्तम के, थे खगोल शास्त्री अप्रतिम।
दूजा उपग्रह अन्तरिक्ष का, इनके नाम किये हैं हम।
होकर श्रद्धावनत नित्य हम, इनका गौरव गान करें।
'श्रीनिवास रामानुज' का संख्या पद्धति में योगदान।
हम भुला नही सकते किन्चित, नित करते उनका यशोगान।
सम्मान हेतु पुष्पार्पण इस विज्ञानी को हम क्यों न करें?
वैज्ञानिक थे अन्तरिक्ष के 'विक्रम साराभाई जी'।
कॉस्मिक किरणों पर भी जिसने, दृष्टि निजी दौड़ाई थी।
फिजिकल रिसर्च लैब देने वाली विभूति का गान करें।
'डॉ० सी० वी० रमन' देश के, थे प्रसिद्ध भौतिक शास्त्री।
रमन-प्रभाव खोजकर नोबेल पुरस्कार जीता शास्त्री।
तो कैसे ना इस विभूति को, भारत रत्न प्रदान करें।
'सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर' जी भी नोबेल पुरस्कार जीते।
सापेक्षता, खगोल शास्त्र की शोधों पर सब क्षण बीते।
'नेशनल मेडल ऑफ़ साइंस' के धारक का सम्मान करें।
'नोबेल पुरस्कार को जीता 'हरगोविन्द खुराना' ने।
'कृत्रिम जीन' का कर संश्लेषण, चौंका दिया खुराना ने।
इस विज्ञानी महापुरुष का, क्यों ना हम गुणगान करें।
'भटनागर शांति स्वरूप जी' वैज्ञानिक अग्रणी रहे।
औद्योगिक अनुसंधानों की, परिषद के अध्यक्ष रहे।
इनके प्रति श्रद्धा अटूट रख, सेवा का आंकलन करें।
थे अपने 'जगदीश चन्द्र बसु', केस्कोग्राफ तैयार किया।
पौधों की बढ़वार मापने को, जिसका उपयोग किया।
इस भारत माँ के सपूत का प्रातः उठ स्मरण करें।

- दिनेश कुमार सिंह 'दिनेश उन्नावी'

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