वृक्ष और कागज की कीमत का मन में आंकलन करें।
कागज तभी जनम पाता, जब हरी वनस्पति कटती है।
छाती फटती प्रकृति सुमाँ की, जब हरियाली घटती है।
क्योंकि यह हरीतिमा ही है, धरती माँ का आभूषण।हरे पेड़-पौधे ही करते, हम सबके उदरों का पोषण।
भात, दाल, सब्जी औ रोटी, पौधों से ही मिल पाती है।
श्वास चलाती प्राण वायु भी, पौधों ही से तो आती है।
श्वास चलाती प्राण वायु भी, पौधों ही से तो आती है।
तन की रक्षा हेतु वस्त्र जो, हम नित प्रति धारण करते हैं।
वे सुन्दर मनमोहक कपड़े, पौधे ही पैदा करते हैं।
कार्बन डाई आक्साइड जो, छोड़ हवा में हम हैं देते।
उसको भी पौधे पी लेते, बदले में आक्सीजन देते।
जल है बहुत-बहुत उपयोगी, जिससे चल पाता है जीवन।
जलदायी वर्षा में भी तो अहम् कार्य करते हैं ये वन।
खग-कुल शरण वृक्ष पर पाता, पथिक छाँव भी पा जाता।
जीवन रक्षा हेतु दवाएं, मानव पौधों से पाता है।
जीवन रक्षक वृक्ष काटकर, जो कागज हम पैदा करते।
उसे हमारे प्यारे बच्चे, नादानीवश फाड़ा करते।
आओ प्यारे बच्चों! हम सब मिल-जुल करके सपथ उठायें।
कागज ना बर्बाद करेंगे, मन में भली-भाँति बैठाये।
- दिनेश कुमार सिंह 'दिनेश उन्नावी'
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