फिर देखूंगा सारे काम!
जब माँ का आशीष मिले,
होवे सुत का सदृश सुनाम!!
माँ की ममता की जय हो,
जग-जीवन मंगलमय हो।
माँ जब सिर पर हाथ धरे।
तक सुत समरथ निर्भय हो!!
सुर लय लाल सजाय माँ,
लहराये संगीत ललाम!
माँ को पहले करूँ प्रणाम!!
फिर देखूंगा सारे काम!
सबसे बड़ा है माँ का नाता ,
गुरुओं की भी गुरु है माता!
शक्ति स्वयं है परमेश्वर-
माँ दुखत्राता सुखदाता!!
माँ के चरणों में मिलते,
सुत को सारे तीरथ धाम!
माँ को पहले करूँ प्रणाम!
फिर देखूंगा सारे काम!!
- पुरुषोत्तम 'मधुप'
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