जिन्दगी भर राधिका को बांसुरी की याद आई।
यह बहाना मत बनाओ, पथ नही है, रथ नही है,
जीतनी होगी तुम्हें तुम्हें अस्तित्व की लड़ाई।
मन सरल होगा तभी सम्बन्ध आगे तक चलेंगे,
व्यर्थ चतुराई करायेगी तुम्हारी जग हँसाई।
प्रार्थनायें जब शिखर से दूर नभ को चूम लेंगी,
तब तुम्हें वरदान की दीपावली देगी दिखाई।
तुम किसी आदर्श के पीछे भला कब तक चलोगे?
तुम स्वयं आदर्श बन जाओ इसी में है बड़ाई।
हर समय अन्याय अत्याचार से लड़ना पड़ेगा,
अन्यथा इस देश पर शासन करेंगे आतताई।
याद रखना, यह समय फिर लौट कर आना नहीं है,
इसलिये तुम सर्वदा सोचा करो सबकी भलाई।
आस्था-विश्वास का वातावरण ऐसा बनाओ,
प्यार जागे और हों जग से विषमता की विदाई।
- मेजर आदित्य त्रिपाठी
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