Saturday, January 19, 2008

हम, तुम सबसे हारे हैं

हर बहना मेरी बहना हों, इससे अच्छा क्या होगा?
मेरा कहना सच कहना हों, इससे अच्छा क्या होगा?

सारे बच्चे अलग-अलग घर में नाहक ही रहते हैं-
सबका मेरे घर रहना हों, इससे अच्छा क्या होगा?

हर घर में मनकामेश्वर हों, इससे अच्छा क्या होगा?
सबके बच्चे सबसे अच्छे, इससे अच्छा क्या होगा?

सुनता हूँ उसने अपने बेटे को मेरा नाम दिया-
सब बेटे मेरे जैसे हों, इससे अच्छा क्या होगा?

सबके बाबा मोटेश्वर हों, और शंकरी दादी हों।
सबके मन कोमल हों, सबके हाथ-पाँव फौलादी हों।

अलग-अलग शहरों के फल खाने का मजा निराला है-
आम सफीपुर के हों तो अमरुद इलाहाबादी हों।

हम भगवती चरण वर्मा की जन्मभूमि के वासी हैं-
कभी अयोध्या में रहते हैं और कभी बनवासी हैं।

लोग हमें परदेशी कहकर प्रायः दुःख पहुँचाते हैं।
हमें गर्व होता है हम जनपद उन्नाव निवासी हैं।

हमें दिवाकर जगन्नाथ लल्लू पंजू सब प्यारे हैं।
जो भी हैं जितने भी हैं सबके सब मित्र हमारे हैं।

तुम सब लोग वहाँ रहते हों हम तो यहाँ अकेले हैं-
तुम सब हमसे जीत गए हो, हम तुम सबसे हारे हैं।

- मेजर आदित्य त्रिपाठी

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