शौक सभी हैं मनभावन के, पाले शौक निराले।
श्वेत नवेला, चूहा, खरहा, सांप विविध रंग वाले।
रंग-बिरंगे पक्षी पालें, भालू पालें काले।
कैसे-कैसे शौक हमारे पशु पक्षी हम पालें।
कुत्ता, बिल्ली, बन्दर पालें, लेते जो कि निवाले।
गौ सचमुच माता है अपनी, खेती बैल सम्हाले।
बकरी, भेड़, वैद्य हैं घर की, भैंस दुग्ध को ढाले।
हाय सभी कटते मानव हित, हम कलुषित मन वाले।
कैसे-कैसे शौक हमारे पशु पक्षी हम पालें।
हाथी, घोड़ा, ऊंट, गधा है, आजीवन रखवाले।
क्रूर ह्रदय मानव इनको भी, श्रम के करें हवाले।
सहज प्रेम के वशीभूत ये, विचर रहे बिना ताले।
सबकी चाभी दाना-पानी, समय-समय हम डालें।
कैसे-कैसे शौक हमारे, पशु पक्षी हम पालें।
लोटन देता सीख पेम की, प्रणय मंत्र को गाले।
बुलबुल, मैना कहती हमसे, सच्चा प्रेमी पाले।
सुगना दूर कर रहा भ्रम, कह-राम नाम दुहरा ले।
पंछी इक दिन उड़ जाएगा, रोयेंगे घर वाले।
कैसे-कैसे शौक हमारे, पशु पक्षी हम पालें।
- सुरेन्द्र पाण्डेय 'रज्जन'
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