Monday, January 14, 2008

मैया, मुझे खिलौना दे दे

बहुत दिए माटी के पुतले, रंग-बिरंगे पुतले-उजले,
सीटी देकर चलने वाले, रूक-रूक चीं-चीं करने वाले।
दे इस बार गगन का चन्दा, तारों बीच सुहाना बन्दा।
दे न सके यदि पूनम-वाला, तिरछा, आधा, पौना दे दे।
मैया, मुझे खिलौना दे दे।।

नानी बहुत पुरानी बातें, कहतीं कथा, बिताती रातें,
बचपन में ही भरत सयाना, कथा, पुराणों ने भी माना।
कहीं सिंह के शावक पाटा, गिनता दांत बहुत इठलाता।
मैया, मुझे भरत से कहकर, कोई छोटा-छोटा दे दे।
मैया, मुझे खिलौना दे दे।।

कल ही तो टी० वी० पर देखा, अपने सैनिक, अपनी रेखा,
अपना देश भूमि-सीमायें, घुसपैठी ये कैसे आये?
हम अब तक क्यों चुप्पी साधे? कायर बने हथेली बाँधे।
तीन पगों में धरती नापूँ, मैया, विष्णु बौना दे दे।
मैया, मुझे खिलौना दे दे।।

जब तक संकट में आजादी, मैं न करूँगा मैया, शादी।
मैं कश्मीर जीतने जाऊँ, उरनी शाल-दुशाले लाऊं।
ख़ुशी-ख़ुशी ये मेरी बहनें, पहनेंगी कश्मीरी गहनें।
डाली दीदी की गुडिया का, पहले मैया गौना दे दे।
मैया, मुझे खिलौना दे दे।।

हाथ मिले राणा का भाला, चेतक जैसा अश्व निराला।
वीर शिवा-सा पानी हो, कर में खडग भवानी हो।
हो सुभाष बाबू-सी वर्दी, सीमा पर भी लगे ना सर्दी।
टोना-टटका-नजर बचाये, मैया, भाल ढिठौना दे दे।
मैया, मुझे खिलौना दे दे॥

- डॉ० सुर्यनारायण शुक्ल

No comments:

Post a Comment