Thursday, January 31, 2008

बात जुबां पर कैसे आये?

मेघा छाये
बरखा लाए
सावन बीता जाये
प्रियतम आये
दिल घबराए
बात जुबां पर कैसे आये ?

दूर से वो
ताके है यूं
जैसे
सब कह देगा हाय !
हाय ! दिल ये
मचले फिर भी
बात जुबां पर कैसे आये ?

कुछ वो सहमें
कुछ मैं सहमूं
आंखों से
आँखें बतलाएं
होंठों तक है
प्यास भरी पर
बात जुबां पर कैसे आये ?

मर्यादा की
दहलीज़ पर
दो दिल
देखो कैसे शरमायें ?
बाहें चाहे
तुमको भर ले
बाँहों को
कैसे समझायें ?

कहने को तो
प्यार नही है
बंशी फिर
क्यूं है हरजाई ?
कान्हा को
घेरे जब गोपी
राधा का
मन जल - जल जाये ?

मन ने चाहा
तुमको माना
जीवन साथी
बनकर आना
सात फेरे
संग तेरे
हाय !
सपने क्यूं तरसाये ?

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