बोल रहा है अद्भुत बोली,
बीन बजाकर उसने सचमुच-
बच्चों के मन को बहलाया।
बच्चे उसको घेर रहें हैं,
मिल-जुल कर सब टेर रहें हैं,
बच्चों की इस शैतानी से-
सचमुच उसका दिल घबराया।
बबलू के दरवाजे आकर,
घेर लिया बच्चों ने जाकर,
बीन बजाकर उसने सहसा-
बच्चों का भी जी ललचाया।
उसने एक पिटारा खोला,
एक सांप भीतर से डोला,
फुफक पड़ा भागे सब बच्चे-
रामू का भी दिल घबराया।
नीले काले हरे रंग के,
सांप, बिच्छुएँ ढंग-ढंग के,
कुछ हाथों में कुछ कन्धे पर-
कुछ को गरदन में लपटाया।
दस-दस पैसे लगे माँगने,
बच्चे सुन-सुन लगे भागने,
दो-दो चुटकी आटे पर ही-
उसने सारा खेल दिखाया।
- डॉ० उमाशंकर शुक्ल 'उमेश'
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