ममता अपनी
लुटाती वो विश्वास दे
दुनिया रूठे
मगर फिर भी माँ साथ दे
हर कदम
हर डगर
वो ये एहसास दे
दुनिया रूठे
मगर फिर भी माँ साथ दे ।
माँ का दर्ज़ा
है ऊँचा उस भगवान् से
जिसकी पूजा
करे सब ये मानकर
की यशोदा का कान्हा
कौशल्या का राम
करे उनकी रक्षा
सदा सुबह - शाम ।
वो गंगा - सी
निर्मल
है निश्छल धरा - सी
वो ममता की
मूरत
लगे देवी माँ सी
है आँचल में
उसके
ज़माने की खुशियाँ
बिना माँ के
लगती अधूरी ये दुनिया ।
बेटी बनकर
सजाया था बाबुल का घर
और पिया संग
निभाए थे सातो वचन
कर्ज़ उसका
उतरेगा कैसे जहाँ
खुद को करके फ़ना
वो कहलायी माँ ।
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