Thursday, January 31, 2008

माँ

ममता अपनी
लुटाती वो विश्वास दे
दुनिया रूठे
मगर फिर भी माँ साथ दे
हर कदम
हर डगर
वो ये एहसास दे
दुनिया रूठे
मगर फिर भी माँ साथ दे ।

माँ का दर्ज़ा
है ऊँचा उस भगवान् से
जिसकी पूजा
करे सब ये मानकर
की यशोदा का कान्हा
कौशल्या का राम
करे उनकी रक्षा
सदा सुबह - शाम ।

वो गंगा - सी
निर्मल
है निश्छल धरा - सी
वो ममता की
मूरत
लगे देवी माँ सी
है आँचल में
उसके
ज़माने की खुशियाँ
बिना माँ के
लगती अधूरी ये दुनिया ।

बेटी बनकर
सजाया था बाबुल का घर
और पिया संग
निभाए थे सातो वचन
कर्ज़ उसका
उतरेगा कैसे जहाँ
खुद को करके फ़ना
वो कहलायी माँ ।

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