हम सब इसको कहते मोर।
जहाँ दिखाई पड़ जाता है,
देख मचाते बच्चे शोर॥
वर्षा-ऋतु के आने पर,
गरजा करता बादल घनघोर।
घूम-घूम कर नाच दिखाकर,
सबको लेता है चितचोर॥
साँप का भोजन करता है वह,
करता मेघ-मेघ का गान।
कार्तिकेय का वाहन है वह,
उड़ता जैसे हों वायुयान॥
इन्द्रधनुष-सारंग है उसका,
पंख हैं उसके आलीशान।
भारत देश का राष्ट्रीय-पक्षी,
जग में उसकी अपनी शान॥
बच्चों देखो वन की ओर,
कैसा नाच रहा है मोर।
सुन्दर मन भावन पक्षी यह-
जन-मन को भाये चित चोर!!
- डॉ० लक्ष्मीशंकर बाजपेयी
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