हम अडिग ढाल इस भारत के।
हम ही नर-नाहर हैं इसके,
हम लाल जवाहर हैं इसके।
हम हैं सुभाष, हम ही गाँधी,
हम नए जोश की आँधी।
नहीं हीनता आने पायी,
मिलकर शक्ति अनोखी पायी।
मन को हमने कभी न हारा,
अपना ही बल सदा सहारा।
झूठा गर्व नही हम करते,
किन्तु असम्भव सम्भव करते।
रुकना-झुकना कभी न जाना,
बढ़कर नित बढ़ते ही जाना।
गौरवमय अतीत है अपना,
सचकर देंगे अपना सपना।
अपना भारत जग में महान,
रखना है इसकी आन-बान।
हम हैं भारत के नौनिहाल,
हमको ही करना है कमाल॥
- राम स्वरुप दुबे
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