Thursday, November 1, 2007

अचानक दोस्ती करना, अचानक दुश्मनी करना
ये उसका शौक है यारों सभी से दिल्लगी करना

सभी जज़्बात को दीवानगी की हद समझते हैं
ये ऐसा दौर है इसमें संभल कर शायरी करना

अंधेरे आँधियाँ बनकर चिरागों को बुझाते हैं
बड़ा मुश्किल है दुनिया में ज़रा सी रौशनी करना

खिजाएँ ढूँढती फिरती हैं बाग़ों में बहारों को
न लब पर फूल महकाना, न आँखें शबनमी करना
 

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