हर मोड़ पे मकाम की, पहचान कीजिए.'
'पीछे पलट के ऱोंकिए, दुश्मन के वार को,
बुज़दिल को एक बार फिर.. हैरान कीजिए.'
'अपने ही दिल से कीजिए.. कुछ आज गुफ़्तगू ,
इस बेदिली को दिल से अब.. अन्जान कीजिए.'
'मज़हब के नाम पे, ना अब हो ख़ून-ख़राबा,
अपने लहू को मुल्क पे.. कुर्बान कीजिए.'
'दो-चार फैसलों से, ना कुछ काम चलेगा !!!
हर फ़ैसले के साथ कुछ .. ईमान कीजिए.'
'जड़ से उखाड़ फेंकिये.. नफरत के शज़र को,
रोशन दिलों में प्यार का.. फर्मान कीजिए.'
'रिश्तों को हर क़दम पे.. निभाओ मगर हुज़ूर !!!
बेवजह ना अपना कभी.. नुक़सान कीजिए.'
'है ज़िन्दगी तो मुश्किलें भी, साथ साथ हैं,
मुश्किल को नाप-तौल के.. आसान कीजिए.'
'मिट्टी के नशेमन हैं, ना इनको उज़ाड़िए,
इतना तो ग़रीबों पे अब.. अहसान कीजिए.'
'मेरी है गुज़ारिश, तो अभी आप भी हमदम,
अंदाज़ में अपने ही कुछ .. बयान कीजिए...!!!"
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