Thursday, November 1, 2007

ज़िंदगी बस मौत का इंतज़ार है, और कुछ नहीं।
हर शख़्स हुस्न का बीमार है, और कुछ नहीं।।

तुमको सोचते-सोचते रात बूढ़ी हो गई,
आँखों को सुबह का इंतज़ार है, और कुछ नहीं।।

अब तो जंगलों में भी सुकूँ नहीं मिलता,
हर चीज़ पैसों में गिरफ़्तार है, और कुछ नहीं।।

यह न सोचो, कहाँ से आती हैं दिल्ली में इतनी कारें,
जिनकी हैं, उनकी एक दिन की पगार है, और कुछ नहीं।।

नेताओं की दुवा-सलामी से कभी खुश मत होना,
चुनाव-पूर्व के ये व्यवहार हैं, और कुछ नहीं।।

हमने अपनी जी ली, जितना खुद के हिस्से में था,
बाकी की साँसें दोस्तों की उधार हैं, और कुछ नहीं।।

तेरे न फ़ोन करने पर, जब भी हम शिकायत करें,
इसे गिला मत समझना, ये तो प्यार है, और कुछ नहीं।।

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