Monday, April 23, 2007

तीन कवितायें

दोस्त, अपने अहसानों का भारी बोझ
मेरे सिर पर मत डालो
अपनी सहानुभूति
अपने पास रखो
कौन हो तुम ?
जो मेरी हमदर्दी दुलारो
वक़्त-बेवक्त तानें कसो
रहने दो करने को दया
मुझ पर, मेरे इमान-सम्मान पर
मैं रह लूँगा अकेला !!

(2)
कितनों की छाती पर रखें पहाड़
उन पर बादलों-सा लुढ़कता
रंगीला-मन ?
मैं खामोश ..... बिल्कुल खामोश
कुहरे से भरी हुई घाटी के पार देखना चाहता हूँ
कौन किस झाडी में छुपा है
भालू, चीता या सियार ?
में उसकी पहचान करना चाहता हूँ !!

(३)
हिन्दी कि नयी कविता
और अखरोट में
मुझे कोई फर्क नही जान पड़ता
दोनो को ढूंढ़-ढूंढ़ लाता हूँ चाव से
पढता हूँ
खाता हूँ
बडे हाव-भाव से !!

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