बच्चों, अपने-अपने पिता से कह दो
माँ को समझा दो
परिवार-नियोजन !
यानी दो या तीन, बस
यही डाक्टर की सलाह ?
अगर वे ना मानें 
तो मत मनाओ अपनी साल-गिरह 
मत मचलो खिलोनों के लिए 
और उन्हें कर लेने दो इकट्ठी 
मनमानी फौज
तुम करते रहो अपनी पढ़ाई 
नंगे-भूखे, सिसकते-तरसते 
और विष-बोझ ढोते?
तुम्हीं तो हो हमारे देश के भविष्य .....?
ये बूढ़े चिकनी चांद वाले 
चन्द दिन के मेहमान हैं
किसी तरह बच-खुच कर करना है 
तुम्ही को देश-कल्याण !
बदलना है
शासन-व्यवस्था-परिधान 
बच्चों 
तुम चिरन्जीवी हो
यह है मेरा वरदान 
तुम बनोगे महान ।      
 
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