Monday, April 23, 2007

बच्चों से

बच्चों, अपने-अपने पिता से कह दो
माँ को समझा दो
परिवार-नियोजन !
यानी दो या तीन, बस
यही डाक्टर की सलाह ?
अगर वे ना मानें
तो मत मनाओ अपनी साल-गिरह
मत मचलो खिलोनों के लिए
और उन्हें कर लेने दो इकट्ठी
मनमानी फौज
तुम करते रहो अपनी पढ़ाई
नंगे-भूखे, सिसकते-तरसते
और विष-बोझ ढोते?
तुम्हीं तो हो हमारे देश के भविष्य .....?
ये बूढ़े चिकनी चांद वाले
चन्द दिन के मेहमान हैं
किसी तरह बच-खुच कर करना है
तुम्ही को देश-कल्याण !
बदलना है
शासन-व्यवस्था-परिधान
बच्चों
तुम चिरन्जीवी हो
यह है मेरा वरदान
तुम बनोगे महान ।

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