Monday, April 23, 2007

चलते रहो

रोओं मत
दुर्भाग्य बताकर
यह मानव-मन की कमजोरी
जो सुख पाकर हंस देता है
दुःख पाकर जो रो देता है
हंस-हंस
रो-रो
किसी तरह ये पूरा जीवन जीं लेता है !
अकुलाओ मत
क्षण थोड़े हैं
ज्ञान-विवेक-चक्षु खुलने हैं

संयम-घट पूरे भरने हैं
संचित पुण्य खर्च करने हैं
गाकर गीत, दुःख हरने हैं

भ्रष्ट साथ से क्या मतलब है ?
स्वयं भ्रष्ट मत बनो बहादुर
निर्भय सीना ताने चलकर
बोलो बस दो टूक बात कर
नहीं किसी से कहीं घात कर
पैदल फर्जी आज मत कर
चलो, तुम्हे चलना बाक़ी है
रोने से, घबराने से
चिल्लाने से कुछ नही बनेगा
साहस सत्य साथ ले करके
धीरे-धीरे काम बनेगा
अभी नए नन्हे नाज़ुक हो
चलते रहो-
लक्ष्य पाओगे !!

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