प्रसन्न रहना भी एक कला है
बिल्कुल ठीक है
किसी बढ़े हुए तोंद वाले व्यक्ति की
कहावत है
मेरी निगाह में
यही सबसे बड़ी बगावत है !
जब आदमी भूख, महंगाई
और अव्यवस्था के बोझ पर बोझ से
लदा रहेगा
तो कैसे रह सकता है
प्रसन्न !
यही शोषण का बड़ा मन्त्र है
आदमियों को ठगने का
बेहतरीन तरीका है
प्रसन्न रहना एक कला है
पुराने ज़माने में
आदर्श प्रस्तुत किये जाते थे
किन्तु आज हमे पढाये जाते हैं
लिखाये जाते हैं
और रटाये जाते हैं
किससे क्या कहें ?
सच में
हम सताए जाते हैं !
मुँह बाए चले आते हैं !!
जीवन भर छले जाते हैं,
सिर्फ, छले जाते हैं ?
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