कोई बात नही मेरे दोस्त !
मत मानो मेरी कोई बात
करो मनमानी
पियो शराब
और बेचारे भोले - भाले
पशु - पक्षियों का करो शिकार ?
अपनी भूख की ज्वाला को शान्त करो
अन्तड़ियाँ ऐंठ रही हैं
इनका ख़्याल करो ?
हत्या का आरोप लगाकर, क्यों ना तुम्हे
मृत्यु-दण्ड दिया जाये ......?
जंगल तुम्हे क्यों नही कर लेता हजम
कोई चीता क्यों नही देता तुम्हारा पेट फाड़
मत घबड़ाओ,
आ रहा है दिन
जब तुम बेमौत मरोगे
सडोगे
मक्खियाँ भिनकेंगी
क्योंकी किये है तुमने अपराध
हत्याएँ, हत्याएँ और हत्याएँ .....
मेरा विद्यालय रो रह हैं
सिसक रह है अध्ययन
और विक्षुब्ध है बूढा मन
जो स्वार्थ-वश चुप होकर रह गया है
मैं देख रहा हूँ .....
बापू का चित्र
विद्यालय .....
प्राणिमात्र पर दया करो का पोस्टर !!
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