मेरे लिए तुम्हारे क्लब कोई
विशेष महत्व की चीज नही हैं
लालटेन, कलम, कागज़ और कुछ किताबें 
मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं
भावना मेरे लिए सर्वोपरि है
कल्पना-सत्य-कर्मों के छन्द 
गुनगुनाना जरूरी है,
गन्दे गाँवों की अपेक्षा 
दूर घने जंगल में चुप रहना 
मैं बेहतर समझता हूँ 
नगर का कोलाहल 
गाँव की गन्दगी
लिज़लिज़ापन .....
दो टांगों के बीच की दूरी ही तय करते रहना 
मेरी प्रकृति के विरुद्ध है
मैं चाहता हूँ-दहकना 
महकना और लहकाना
न कि कराह से कुंठा पीकर
सीलन भरी कोठरी में जुगुप्सा पी जीना 
अन्तर्ज्वाला में जल-भुन कर
स्वयं राख हो जाना         
मैं चाहता हूँ
आज की व्यवस्था का भार
सिर से उतार फेंकना 
पोगा-पंथी में पलते ना रहना 
कल को फिर सलीके से जीना  
 
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