साले हराम की पी रहे हैं
जिन्दगी आराम की जीं रहे हैं
काम कहाँ ?
नाम लिख रहे हैं
देश नीलाम कर रहे हैं
जी हाँ, जी, खूब छप रहे हैं 
बाजारों में खूब बिक रहे हैं
देश का दुर्भाग्य कहकर 
नेता, कवि, कलाकार, सर्जक
सरे-आम
लडकियां-रिझाऊं
तड़क-भड़क
लचक-ठसक
चाल चल रहे हैं
चिडियाँ फंसी नहीं 
हाथ मल रहे हैं-
जी, हाँ, जी नाम रख रहे हैं
राम-नाम 
बिल्कुल बदनाम कर रहे हैं
देश का उजारा 
गुम-नाम कर रहे हैं
पी रहा विद्रोह 
मौन सारा 
सुबह को शाम कह रहे हैं
हम भी
चुपचाप, सह रहे हैं ॥ 
 
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