Tuesday, April 24, 2007

पीड़ा

जब आत्मा अजर-अमर है
तो फिर यह भय, निराशा, शोक
मोह, द्रोह क्यों ?
मैं पूंछता हूँ
आज उन सभी से
जो मेरे सामने हैं !
उत्तर दो .....
सबके सब मौन ?
वह, यही बस यही इसका एक उत्तर है
यानी मौन
बस मौन
मौन में सुख, शान्ति, स्नेह और श्रद्धा-भक्ती हैं ।
दुनिया के झगड़े
रोटी, कपड़ा, मकान के रगडे
सत्य सिद्ध, कल्पना में दुःख है !

प्यार सभी को होता है
दर्द सभी को होता है
दर्द दर्द का साथ देता है
और प्यार प्यार का
यही तो है हमारा सनातन धर्म
फिर क्या हो गया है आज ?
इन्सान इन्सान को ठगता है
सत्य से दूर भगता है

कहॉ हैं कर्मों के छन्द ?
लगता है बिना पढी पोथी में
सबके सब बन्द !
बम भोले कहकर
सब भांग खा सोये हैं ?

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