कभी शिकायत करना हो तो
हमसे ही कर लिया करो।
दुनिया है इसमें लोगों के
हाव भाव कुछ ठीक नहीं हैं,
इसमें अपने दिखने वालों
के भी करम सटीक नहीं हैं।
कभी हिदायत करना हो तो
हमसे ही कर लिया करो।
यहाँ दृष्टि मेरी कहती है
वे भी हंसी उड़ाते होगें,
मेरे और तुम्हारे भेदों
को सुन बहुत जुड़ते होगें।
कभी रियायत करना हो तो
हमसे ही कर लिया करो।
बन्धु हमारे निराधार ही
हठ में तुम इतने जकड़े क्यों,
मेरी निन्दा करने वालों
को इतना पोड़े पकडे क्यों।
कभी हिमायत करना हो तो
हमसे ही कर लिया करो।
No comments:
Post a Comment