वे समझौते क्यों मानेगें ?
धोखे का बातों को अब तक
समझौता माना क्या पाया,
दुष्टों के आश्वासन हरदम
प्राणों तक न्यौता क्या पाया
वे अपने मन का ठानेगें।
वे समझौते क्यों मानेगें ?
कलुष अहम् लादे फिरते हैं
मानवता के भक्षक सारे,
इनसे दया क्षमा - क्षमा - करूणा का
नाहक कोई नाम पुकारे,
वे बम बारूदें तानेगें
वे समझौते क्यों मानेगें ?
फिर कोई शत्रु हमारा
भारत की धरती पर आया,
स्मझो स्वर बुलन्द भारत का
परचम सेना ने लहराया,
वे युग कल्पों तक जानेगें
वे समझौते क्यों मानेगें
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