आग तो आग है, इसमें तपिस है, जलन है और और सब कुछ स्वः कर देने की शक्ति है. इससे दूर रहा जाये तो बेहतर है.
संसार के झंझावातों के बीच जीते हुए भी जो व्यक्ति मन की शांति को अक्षुणण रख सके, वाही सच्छा और कर्मठ व्यक्ति है.
श्री नन्द किशोर 'सजल' जी द्वारा रचित पुस्तक की पंक्तियाँ उनकी अभिव्यक्ति किसी की मन को छू सके, जनमानस को मानव कल्याण का सन्देश दे सके तो कवी का प्रयास सार्थक होगा.
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