Wednesday, January 30, 2008

भारत माँ!

भारत माँ तेरी जय-जय हो।
स्वतन्त्रता का यह सुहाग अब
सदा अमिट अक्षय हो।

मन में उमगे सरस भाव
जन-जन में भी नैतिकता जागे,
गण-गण में हो महाशक्ति
कण-कण से भी कायरता भागे,
महामिलन के शंखनाद से
गूँज उठे ये पृथ्वी सारी,
सत्यम शिवम् सुन्दरम मय
हो जाये दुनिया मंगलकारी
हो निर्विघ्न दिशायें चारों
गंध-सुगंध मलय हो।
भारत माँ तेरी जय-जय हो!

भाषा, मजहब, प्रान्तवाद में
कभी न हो मन मैला,
जाति-पाँति का बीज
धरा पर उगे न कभी विषैला,
दीप शान्ति का जले चतुर्दिग
हर घर हो खुशहाली,
ईद मिलन हो दर-दर या फिर
घर-घर हो दीवाली,
एक राग अवनी से अम्बर
तक मिलती स्वर-लय हो।
भारत माँ तेरी जय हो!

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