Wednesday, January 30, 2008

जरुरी है

आ रही अशान्ति की फुहार पाक से तो अब,
शान्ति का प्रवाह रुख मोड़ना जरुरी है।
दे रहा है युद्ध का निमन्त्रण ये एक और,
इसके घमण्ड को भी तोड़ना जरुरी है।
करता रहा है ये गुनाह पे गुनाह अब,
पाप का घड़ा भी एक फोड़ना जरुरी है।
हो रही कराँची की जमीन मरुभूमि इसे,
लातो से ही एक बार गोड़ना जरुरी है।

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