धूम मची तारों के गांव।
एक्कम को ऐलान, दूज को-
जाकर जमा किया पर्चा,
तीज नये तेवर से बोले
चौथ चली घर-घर चर्चा,
पंचम पड़ते सबके पांव,
चन्दा मामा लड़े चुनाव।
छठ को छूट नक़ल की देकर
आरक्षण के लाभ बताते
सप्तम को सप्तर्षि भवन में
मंदिर की सौगंध उठाते
अष्टम अष्ट्ग्रहों के गांव
चन्दा मामा लड़े चुनाव।
नवमी नखत-नखत के द्वारे
दशमी दौड़े हाथ पसारे
एकादशी को इक जुट होकर
वोट डालने निकले तारे
द्वादश तेरस पड़ा पड़ाव
चन्दा मामा लड़े चुनाव।
चतुर्दशी को हुई घोषणा
चन्दा मामा हार गये
निकले नही अमावस को फिर
चुपके छुपे फरार हुए,
अन्तरिक्ष में बढ़ा तनाव
चन्दा मामा लड़े चुनाव।
घटने बढ़े झूठ बोलने
से ही चन्दा हारा है
रह कर हरदम अटल बात पर
जीत गया ध्रुवतारा है
सबसे अच्छा सत्य सुझाव
चन्दा मामा लड़े चुनाव।
- डॉ० गणेश नारायण शुक्ल
it's very lovely poem
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