Thursday, January 31, 2008

नव वर्ष

है खड़ा नव वर्ष
द्वारे
ले सुखो के
स्वप्न सार
रात्रि ने तम वस्त्र त्यागे
रवि रश्मि ने
नव वस्त्र धारे।

रश्मियों के ये
उजाले
लग रहे है आज
न्यारे
दे रहे संदेश
जग को
कोयलों के गीत प्यारे ।

मैं जिया इस वर्ष
जो भी
सुख के पल
और दुःख की रातें
स्म्रतियाँ
बनकर रह गयी
वे
भूली - बिसरी सारी बातें ।

बस यही वर
चाहता हूँ
ब्रह्म
इस पावन समय पर
सुर मेरे जो
मुख से फूटे
गीतों की गरिमा बढ़ाये ।

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