किन्तु एक बार और फिर से हमारा देश,
पाक के ही कुटिल कुचक्र में समा गया।
और प्यारे बापू की अहिंसा का पुजारी देश,
अपना पुराना इतिहास दोहरा गया।
देखता रहा हो करतूतें पाक की कभी से,
हिन्द यूं शरीफ की ही बात क्यों आ गया।
एक इंच भूमि भी लगी न हाथ मेरे और
व्यर्थ में भी कारगिल रक्त से नहा गया।
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