Wednesday, January 30, 2008

एक नाम और!

ब्रिटिश हुकूमत विरोध में किये ही सब,
आज भी हैं युद्ध के निशान बैसवारा में।
चन्द्रिका बक्श राजा राव रामबक्श और,
राणा बेनी की बनी है आन बैसवारा में।
काव्य की धरा में नूर हो गए निराला और,
साथ में सनेही की भी शान बैसवारा में।
एक नाम और चन्द्रशेखर मिला तो मानो,
हो गया है पूरा हिन्दुस्तान बैसवारा में।

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