हे बापू तुमको कोटि नमन।
कर रहा आज ये जन गण मन॥
जो था सपना आजादी का,
उसको तुमने साकार किया।
अपना सर्वस्व समर्पित कर,
भारत माँ का उपकार किया॥
आजादी के दीवानों को,
सम्मत अधिकार दिया तुमने।
अंग्रेजों भारत छोड़ो से,
दुश्मन पर वार किया तुमने।
सत्याग्रह से ही ब्रिटिश राज्य की,
चूल-चूल हिल जायेगी।
या सत्य अहिंसा से हमको,
ये आजादी मिल जायेगी।
यह क्षण भर में ही लिख जायेगा,
मालूम था इतिहास किसे।
स्वाधीन देश हो जायेगा,
पर होता था विश्वास किसे।
जो विश्व विजेता थे जग में,
सारे करतब बेकार गये।
जब ब्रिटिश राज्य के फौजी-
अफसर महामना से हार गये।
पन्द्रह अगस्त सन् सैंतालिस का,
देख रहे थे जो सपना।
इस शान्ति अहिंसा के बल पर,
आजाद हुआ भारत अपना।
ये दो अक्तूबर का दिन है,
उस पैगम्बर के आने का।
उस महामना की यादों पर,
श्रद्धा के फूल चढ़ाने का।
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