चांद तन्हा है आसमां तन्हा
दिल मिला है कहां कहां तन्हा
बुझ गयी आस छुप गया तारा
थरथराता रहा धुंआ तन्हा
जिंदगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और हां तन्हां
हमसफर कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे तन्हा तन्हा
जलती बुझती सी रोशनी के परे
सिमटा सिमटा सा इक मकां तन्हां
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जायेंगे ये जहां तन्हा
दिल मिला है कहां कहां तन्हा
बुझ गयी आस छुप गया तारा
थरथराता रहा धुंआ तन्हा
जिंदगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और हां तन्हां
हमसफर कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे तन्हा तन्हा
जलती बुझती सी रोशनी के परे
सिमटा सिमटा सा इक मकां तन्हां
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जायेंगे ये जहां तन्हा
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